Description
सम्पूर्ण वास्तुशास्त्रा प्राचीन वास्तुकला को लेकर लिखी गई पहली पुस्तक है, जिसमें भवन-स्थापत्य कला पर विस्तृत चिंतन किया गया है। नए मकान का प्रवेश द्वार किधर हो? द्धारवेध किसे कहते हैं, कितने प्रकार के होते हैं? भवन में जल (Water-tank) स्थान कहां, किधर होना चाहिए? पाकशाला (Kitchen) में अग्नि स्थान (Fire-Spot) कहां हो? शयन कक्ष (Bed-Room) किस दिशा में होना चाहिए ताकि शयनकर्त्ता को भरपूर नींद आ सके। निवास करने योग्य भूखंड की आकृति कैसी होनी चाहिए। भू-परीक्षण के क्या-क्या शास्त्राीय विधन हैं? सही वास्तु के मुहूर्त कैसे देखे जाते हैं? इन सभी पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान लेखक डॉ. भोजराज द्विवेदी ने व्यावहारिक चित्रों के साथ पुस्तक को बहुत ही सुंदर ढंग से संवारा-संजोया है।
Details
Author: Dr. Bhojraj Dwivedi | Publisher: Diamond Pocket Books | Language: Hindi | Binding: Paperback | No of Pages: 197